दुनिया की सबसे तेज़ और सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है BrahMos, जानिए, इसकी खासियत और रेंज

आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गति, सीमा और सटीकता सर्वोपरि हो गया है. उन्नत मिसाइल प्रणालियों के विकास ने युद्ध में क्रांति ला दी है. जिस वजह से गति और सटीकता के साथ लक्ष्य पर हमला करना आसान हो गया है.

अब मिसाइल कुछ ही मिनटों में हजारों किलोमीटर दूर अपने टारगेट पर हमला करने में सक्षम हो गई है. ऐसा ही एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है ब्रह्मोस.. भारत की तरकश में यह मिसाइल काफी मायने रखता है. क्योंकि यह दुश्मन को पलक पल भर में खत्म कर देता है. 

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. यह दुनिया की सबसे तेज़ और सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है. क्रूज़ मिसाइल उसे कहते हैं जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और रडार पर नजर नहीं आती है.

इस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखी गई है. इसका निर्माण भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO Mashinostroyeniya के बीच एक संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस के तहत हुआ है.

यह रूसी P-800 ओनिक्स क्रूज मिसाइल तकनीक पर आधारित है. 12 जून 2001 को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहली बार चांदीपुर में ज़मीन आधारित लांचर से टेस्ट किया गया था. 2001 से लेकर अब तक इसमें कई बदलाव किए गए है. जिसके बाद यह और भी खतरनाक हो गया है.

2007 में सेना में शामिल हुआ ब्रह्मोस 

21 जून 2007 को भारतीय सेना में इसे शामिल किया गया था. ब्रह्मोस को भारतीय सेना की तीन रेजीमेंटों में शामिल किया गया है. भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी आक्रमण को रोकने के लिए क्रूज मिसाइल निर्भय और आकाश के साथ ब्रह्मोस को भी तैनात किया है.

ब्रह्मोस (BrahMos) एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है (Medium-range Ramjet Supersonic Cruise Missile). जिसे पनडुब्बी, जहाजों, विमानों या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है. 

अपने शक्तिशाली वारहेड के साथ उड़ान के दौरान हथियार की सुपरसोनिक गति दुश्मन के लक्ष्यों को पूरी तरह से खत्म करने में सक्षम बनाती है. ब्रह्मोस को भूमि-से-भूमि, भूमि से समुद्र, समुद्र से भूमि, समुद्र से समुद्र, हवा से समुद्र और हवा से भूमि में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है.

जानते है BRAHMOS MISSILE की खासियत

मिसाइल तकनीक की दुनिया में कोई भी मिसाइल तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता है. इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है. यहाँ तक की अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी गति के मामले में इसके आगे फिसड्डी साबित होती है. मेनुवरेबल तकनीक यानी कि दागे जाने के बाद अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले मार्ग को बदलने की क्षमता इसे और खास बनाती है.

ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी

ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी है. ब्रह्मोस ब्लॉक-1 मिसाइल का वज़न 3,000 किलोग्राम होता है. जबकि मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) की उच्च गति के साथ विश्व की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल है. यह 8 से 8.2 मीटर लंबा है, इसका व्यास 0.67 मीटर है. यह 300 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है.

यह दो चरणों वाली (पहले चरण में ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे में तरल रैमजेट) मिसाइल है. जिसे पनडुब्बी, जहाज, विमान और भूमि आधारित मोबाइल ऑटोनॉमस लॉन्चर्स (MALs) से लॉन्च किया जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल को ट्रांसपोर्ट-लॉन्च कैनिस्टर (TLC) से लॉन्च किया जाता है जो स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट कंटेनर के रूप में भी काम करता है.

यह एक मल्टीप्लेटफॉर्म मिसाइल है जिसे ज़मीन, वायु एवं समुद्र में बहुक्षमता वाली मिसाइल से सटीकता के साथ लॉन्च किया जा सकता है. जो खराब मौसम के बावजूद दिन और रात में काम कर सकती है. यह “फायर एंड फॉरगेट/दागो और भूल जाओ” सिद्धांत पर काम करती है यानी लॉन्च के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती. यह हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है. इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है.

1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर कर देती है ब्रह्मोस

यह मिसाइल तकनीक थलसेना, जलसेना और वायुसेना तीनों के काम आ सकती है. यह 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड में नहीं आती. आम मिसाइलों के विपरित यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है.

भारत और रूस की अगले कुछ वर्षों में संयुक्त उद्यम कंपनी के माध्यम से 2,000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की योजना है. जिसमें से लगभग 50% मित्र देशों को निर्यात किए जाने की उम्मीद है. हाल ही में फिलिपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदा है.. जिससे चीन की हालत खराब हो गई है. चीन ने इसको लेकर बयान भी जारी किया था. ब्रह्मोस का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. जबकि इसका एकीकरण परिसर हैदराबाद में और एक उत्पादन केंद्र तिरुवनंतपुरम में स्थित है.

इस तरह हम देखते है कि ब्रह्मोस न सिर्फ भारत का बल्कि दुनिया का एक बेहतरीन मिसाइल है.

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